आज तेरी याद आई है

आम दिन है, आम लोग और आम बातें चल रही हैं

कर रहा हु बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार 

सब जैसे को तैसा है

की अचानक कमबख्त ये मौसम दगा दे गया

की अपना रुख बदला और ये रुख भी प्यार का था जनाब

की एक मखमली सी हवा की लहर 

मेरे चेहरे से होकर गुजरी है

की बड़े दिनों बाद आज तेरी याद आयी है


की सभी आम चीजें खास हो गयी हैं 

की मुस्कान के फाल की हुई तुरपाई है

मन मे आया उठ खड़े हों आंखें बंद कर बाहें आसमान की ओर फैला लें

और उन ठंडी हवाओं को सांसों में समेट लें

की एक धीमी सी फुसफुसाहट तेरे नाम की मन मे आई है

की बड़े दिनों बाद आज तेरी याद आयी है


ये जुल्मी बस को भी अभी आना है

खैर अभी हमें सफर को जाना है

कमबख्त ये सफर की भी अज़ब विडम्बना है

किसी को साथ टिकने नही देती

और अकेले मन नहीं लगता

बस की खिड़की से आती इन हवाओं की खुशबू तेरे बालों की गमक ही है क्या? 

जिन से मैं खेला करता था

ये लहराते पेड़, खिलखिलाते बच्चे, ये काले बादल

सभी तेरा इशारा समझ आई है

की बड़े दिनों बाद आज तेरी याद आई है

ये खिसियाते बादल बरस पड़े हैं

चेहरे पर पड़ी दो चार बूंदें याद दिलाती हैं मुझे

जब तू अपने हाथ मोरपंखी सा मेरे चेहरे पर फेरती थी

अरे अब रुक भी जा और मत बरस 

नहीं जाना वापस उस रास्ते पर

जहां खुद को भूल गया था

अरे मैं तो खुश तब भी था और खुश अब भी हूँ

फर्क बस इतना है 

की तब मैं मैं ना था अब मैं मैं हूँ

की पहले रुसवाई थी औऱ अब तन्हाई है

की तेरे और मेरे रात में फर्क बस इतना था

की तेरी मखमलों में और मेरी करवटों में गुज़री थी

की खुश हूं अब

अब अकेला मैं भी हु और अकेली तू भी है

फर्क बस इतना है कि मेरे हिस्से आई ये कमबख्त तन्हाई है

की बड़े दिनों बाद आज तेरी याद आई है।


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21 thoughts on “आज तेरी याद आई है

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  1. सुंदर अभिव्यक्ति —–__
    एक मखमली सी हवा की लहर
    मेरे चेहरे से होकर गुजरी है

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